आज अखिलेश यादव सरकार यानि यूपी सरकार के एक साल पूरे हो गए.इसी के साथ शुरू हो गया है माननीय मुख्यमंत्री की विभिन्न क्षेत्रों में सफलता और असफलता पर विचार-विमर्श का दौर .आज ही के दिन अखिलेश यादव जी ने यूपी की कमान संभाली थी.और अपने लोकलुभावन वादों को पूरा करने की घोषणा की थी.जिनमे से कन्याविद्या धन, लैपटॉप वितरण,बेरोजगारी भत्ता जैसी प्रमुख योजनाओं को उन्होंने पूरा भी किया.अगर कोई दाग यूपी सरकार पर है.तो वो है सूबे की चरमरायी कानून व्यवस्था.यूपी में कई जगहों पर हुए दंगे कानून व्यवस्था की पोल खोलती है.निश्चित ही यूपी सरकार के लिए जश्न मनाने का दिन है.लेकिन यह दिन और भी अच्छा हो सकता था अगर थोड़ा बहुत ध्यान कानून व्यवस्था पर भी दे दिया जाता.
अखिलेश सरकार की कई उपलब्धियां भी है.महिलाओं की हेल्प के लिए शुरू की गयी फोन हेल्पलाइन सेवा 1090 बड़ी ही कारगर साबित हो रही है.'जनता दर्शन ' भी आम लोगों की समस्याओं को सुनने और उन्हें सुलझाने के लिए एक बड़ा कदम है.सरकार द्वारा चलाई गयी एम्बुलेंस सेवा 108 भी मरीजों को स्वास्थय उपलब्ध करा रही है.सरकार ने 2013-14 के बजट में भी किसी तरह की लोकलुभावन योजनाओं का शुभारम्भ न करके पुरानी ही योजनाओं को उचित ढंग से क्रियान्वित करने की ज़रूरत महसूस की.
यदि सरकार की एक तरफ चुनिन्दा उपलब्धियां हैं तो दूसरी तरफ कानून व्यवस्था की धज्जियाँ उड़ाते हुए सांप्रदायिक दंगो ने सरकार की किरकिरी भी की है.जंहा एक तरफ लखनऊ,फ़ैजाबाद और बरेली जैसे शहरों में हुए दंगों ने सरकार के माथे पर दाग लगाया वंही दूसरी तरफ हाल ही में हुए कुंडा काण्ड ने प्रत्यक्ष रूप से सरकार पर कई सवाल उठाये.अखिलेश सरकार को उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने के लिए यूपी में निवेश की ज़मीन तैयार करनी होगी जिससे युवाओं को रोज़गार मिले.और कानून व्यवस्था में एक व्यापक बदलाव लाना होगा जिससे राजधानी के लोग सुरक्षित महसूस कर सकें.