किस मोड़ पे आ खड़े हम
ये कैसा मौसम है
हर दिल ग़मज़दा हर आंख नम है
क्या घुल गया इस शहर की बहती हवा में
जो भी निकला घर से बाहर समझो वो
खतम है..!!
किस मोड़ पे आ खड़े हम
ये कैसा मौसम है
हर दिल ग़मज़दा हर आंख नम है
क्या घुल गया इस शहर की बहती हवा में
जो भी निकला घर से बाहर समझो वो
खतम है..!!
उजाले में चेहरा चमकता रहा उनका
असल चेहरा तो अंधेरे में दिखा उनका
बात इतनी है कि अब बात नही होती
यादों में भी सिर्फ अक्स दिखा उनका..!!
इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!