Writer,Blogger,Lyricist..
इतनी सी औकात है मेरी महबूब के सामने
कि उनका प्यार पाने के लिए भी आंखों
को भिगोना पड़ता है..!!
@nuj
हम उस हद तक जाके रोये हैं..
जहाँ आंखों की हदें रोक देती थी
हमें रोने से..!!
मेरे दर्द की इंतेहा मत पूछिए..
मांगा था जिसको टूटकर,
उसको भूल जाने की दुआ
की है रब से..!!
उन ग़ैरों से क्या शिकायत करना..
जो मिले थे कभी अपने बनकर..!!
कभी आना मेरी राह तो
मिलना मुझसे..
सूखे पत्तों से घिरी सड़क
पहचान है हमारी..!!
मेरे इश्क़ की दास्तान बस इतनी सी है..
मैं 'दास्तान' और वो बस 'इतनी सी' है..!!
हाथों की रेखाओं पे मत जाना 'अनुज'
क्योंकि जब वक़्त बदलता है तो रेखाएं
भी बदल जाती हैं..!!
मेरे हर आंसुओं का हिसाब रखती है..
वो 'तकिया' जो हर शब मेरे साथ रहती है..!!
अजीब दस्तूर है यहाँ का..
लोग हाथ तो देते हैं पर साथ नहीं..!!
खुशियों से नाता जोड़ा था,
उदासियाँ बेवजह रिश्ते
निभाने लगी..!!
बातें चोट पहुंचाती हैं..
और यादें दर्द देती हैं..!!
बेवक़्त मिले थे हम दोनों..
बेवक़्त बिछड़ना भी हुआ है ।।
इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!