सोमवार, 12 अगस्त 2013

दिल से चाहो,कायनात को मुट्ठी में करो




" अगर किसी चीज़ को दिल से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है"इसे सिर्फ एक फिल्मी  डायलोग मत समझिये.यह लाइफ का सबसे बड़ा सच है.हमे हमेशा जिंदगी से से यह शिकायत रहती है कि हमें अपनी मेहनत का उचित फल नहीं मिलता.आज के भौतिकवादी युग में फल की आशा न करने का उपदेश देना बेईमानी होगी.लेकिन फल की चिंता करने से पहले हमे उस पेड़ की चाह करनी होगी जो भविष्य में आपको फल देने वाला है.हम मेहनत तो करते हैं लेकिन बेमन से.यदि आप दिल से किसी चीज़ को चाहते हैं और उसके लिए जी जान से मेहनत करते हैं.तो परिस्थितियां आपके अनुकूल हो जाएंगी और सारी दुनिया आपको आपकी सफलता से साक्षात्कार करा देगी.अगर आपके पास इसका एक भी रीज़न है कि आपको एस्ट्रोनॉट बनना है तो यकीन मानिये दुनिया आपको 100 रीज़न बता देगी कि हाँ आपको इसलिए एस्ट्रोनॉट बनना है.इसके विपरीत यदि आप सोचते हैं कि आप डॉक्टर नहीं बन पाएंगे और इसका एक रीज़न भी देते हैं तो दुनिया आपको डॉक्टर नहीं बन सकने के 100 रीज़न बता देगी.यंहा बात हमारी इच्छाशक्ति की है.यदि हम दृढ हैं और उस चीज़ को पाने के लिए ललायित हैं तो पूरी दुनिया आपको उस चीज़ से मिलाने के लिए तैयार हो जाती है.
                            जिस दिन आपने सोच लिया कि हाँ कुछ करना है,कुछ बनना है.मैं कुछ भी कर सकता हूँ.मेरे लिए सब आसान है.फिर आपको दुनिया की कोई भी ताकत आपको ऐसा करने से नहीं रोक सकती.यहाँ तक आप खुद भी चाहेंगे तो असफल रहेंगे.और फिर वह होगा जिसकी आपने कभी कल्पना नहीं की होगी.यू विल बी द लीडर देन.


                     
     
          

बर्बाद

इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद  फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!