गुरुवार, 7 मार्च 2013

महिला दिवस :महिला एक,रूप अनेक




क्या होती है एक महिला? देवी का स्वरुप होती है एक महिला.ममता की मूरत होती है एक महिला जिसमे कूट-कूट कर प्यार भरा होता है.जो समस्याओं का सामना निर्भय होकर करती है.जो हर वक़्त अपने बच्चे को संपूर्ण प्रेम देती है तो उसके कुछ बुरा करने पर उसे डांटने या मारने में भी गुरेज़ नहीं करती वह भी उसकी भलाई के लिए जो आगे चलकर उस बच्चे के संपूर्ण व्यक्तित्व को निखारती है.
यह तो हमेशा से विवाद का विषय रहा है कि महिलाओं और पुरुषों में से कौन ज्यादा बुद्धिमान है लेकिन यह सर्वविदित और मान्य है कि महिलाएं पुरुषों से ज्यादा संयमी और निर्भीक होती है.
महिलाऐं वे होती है जो बड़ी से बड़ी परिस्थितियों में भी धैर्य रखती है और साहस का परिचय देती हैं.महिलाओं में वो ताकत होती है जो एक मानव को जन्म देती है.महिला ही एक बच्चे को बड़ा बनाती है,उसे गरिमामयपूर्ण व्यक्तित्व प्रदान करती है.
इस बारे में ये कहावत महत्वपूर्ण है कि एक सफल पुरुष के पीछे एक महिला का हाथ होता है.पूरी दुनिया चलती है जब एक महिला काम करती है.अगर वह काम करना बंद कर दे तो समझो पूरी दुनिया रुक जाएगी.भले ही यह अति लगे लेकिन गहराई में जाने पर यह पता चल जाता है कि दुनिया भर की गतिविधियों के पीछे का कारण एक महिला ही होती है चाहे वह आर्थिक हो या सामाजिक.ज़्यादातर पुरुषों का आदर्श भी महिलाएं जैसे उनकी मां,पत्नी या बहन ही होती हैं.मेरी आदर्श भी मेरी मां हैं.मुझे गर्व है कि वह मेरी मां हैं.हमें भी महिलाओं को आदर्श मानकर उनका आदर करना चाहिए और अपनी पुरुषवादी सोच को त्यागकर उनकी प्रगति पर गर्व करना चाहिए.
-फ़ैज़ अहमद के इस शेर के साथ अपनी बात ख़त्म करता हूँ.

-सब कुछ खुदा से माँग लिया तुझको माँगकर
उठते नहीं हैं हाथ मेरे इस दुआ के बाद

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बर्बाद

इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद  फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!