बुधवार, 17 जुलाई 2013

छोटे छोटे कदम से बढ़े सफलता की ओर




जिंदगी बहुत खूबसूरत है यदि उसे अपने हिसाब से जिया जाये.अपने हिसाब से जीने का मतलब यह कतई नहीं है कि हम बिना किसी किसी की परवाह किये भौतिक संसाधनों का उपयोग करने में लगे रहे बल्कि इसका अर्थ यह है कि हम जीवन के हर पड़ाव में आने वाली प्रोब्लेम्स से बिना डरे उसे पार करे.यदि प्रॉब्लम ने आपको अपना गुलाम बना लिया तो आप उससे बाहर नहीं निकल पाएंगे और हार मान जायेंगे लेकिन यदि आप दृढ़ है और प्रॉब्लम को अपने ऊपर हावी नहीं होने देना चाहते तो आपको उस प्रॉब्लम का खुद ही हल निकालना होगा.तभी आप अपने बनाये गए लक्ष्य तक पहुँच पाएंगे.लक्ष्य छोटे-बड़े दोनों होते हैं.लक्ष्य जितने छोटे होते हैं,रास्ते में आने वाली मुश्किलें भी उतनी ही छोटी होती है.लक्ष्य जितने बड़े होते जाते है मुश्किलें भी उतनी ही विकराल होती जाती हैं.एक बड़े लक्ष्य को हम कई छोटे-२ भागों(लक्ष्यों) में बाँट सकते हैं.जिससे हमारी सफलता के चांसेस बढ़ जाते हैं.छोटे लक्ष्यों को प्राप्त करने में मुश्किलें भी छोटी होती है जिन्हें हम चुटकियों में हल कर सकते हैं और एक स्टेप आगे बढ़ कर अपने लक्ष्य के करीब पहुँच सकते हैं.
                            हमारी समस्या यह नहीं है कि हम बड़े लक्ष्य बनाकर भी उसे पाने में असफल हो जाते हैं बल्कि हमारी समस्या यह है कि हम बड़े लक्ष्य बनाकर एक बड़ा स्टेप लेने की सोचते हैं और करते भी हैं.जबकि हमे बेसिक स्टेप लेना होता है जो हमे बताता है कि किसी कार्य को करने से पहले उसकी बारीक जानकारी आवश्यक होती है.फिर उसके बाद छोटे-२ स्टेप उठाने होते हैं.फिर हम क्यूँ अपने लक्ष्य को पाने के लिए एकदम से बड़ा करने की सोचने लगते है.ये छोटे-२ स्टेप कब आपको अपने लक्ष्य तक पहुंचा देंगे,आपको पता भी नहीं चलेगा.तो फिर देर किस बात की.बड़ा सोचिये,बड़ा लक्ष्य बनाइये लेकिन ध्यान रहे इसकी शुरुआत छोटे स्टेप से ही करें.

बर्बाद

इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद  फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!