गुरुवार, 7 मई 2020

लॉकडाउन का पालन जरूरी या शराब का सेवन


लॉकडाउन 3.0 में सशर्त शराब की बिक्री की अनुमति मिलने के बाद से मॉडल शॉप पर भारी भीड़ देख कर हमारी और हम जैसे उन लोगो की भावनाएं निश्चित तौर पर आहत हुई है जो पिछले लगभग चालीस दिन से घर मे रहकर  लॉकडाउन का पालन कर रहे है।शराब की दुकानों में डेढ़-दो  किलोमीटर तक लंबी लाइन और बिना किसी सामाजिक दूरी के लॉक डाउन की धज्जियाँ उड़ाते हुए लोगो को देखकर देश उबल रहा है।सम्पूर्ण विश्व भर में फैली इस महामारी के समय भारत सरकार को इस तरह का अनुचित कार्य करने से निश्चित ही राजस्व लाभ होगा लेकिन अगर इस भीड़ में से कोई एक भी संक्रमित निकला तो जन हानि की कोई सीमा नही रहेगी और शायद सरकार के द्वारा इकट्ठा किये गए राजस्व का दुगना भी इसकी भरपाई न कर पाए।
    ऐसा नही हो सकता कि सरकार को इतनी भीड़ जमा होने का अंदेशा न हो।चूंकि चालीस दिन से घर मे बैठे मदिरा के शौकीन लोगो को अपनी प्यास बुझाने के लिए इसी दिन का इंतज़ार था और सरकार ने राजस्व इकट्ठा करने के चक्कर मे लोगो को मौत में मुह में धकेल दिया।एक हद तक सरकार जिम्मेदार हो सकती है लेकिन प्राथमिक तौर पर जवाबदेही हमारी खुद की बनती है अपने परिवार के प्रति।निश्चय ही शहर में भीड़ बढ़ाने वालो को उनके परिवार वालो ने बाहर जाने से रोका होगा किन्तु हम नशे में चूर अपनी प्यास बुझाने के लिए दानव रूपी महामारी को धता बताते हुए सड़को पर आ गए।
   पूरे विश्व की तुलना में भारत की स्थिति भले ही संतोषजनक हो लेकिन दिन ब दिन कोरोना के मरीजों का ग्राफ बढ़ना अवश्य चिंताजनक है।अभी भी हमे अपनी जिम्मेदारी का अहसास न हुआ तो हमारे देश में भी अमेरिका और इटली जैसी भयावह स्थिति आ सकती है।

बर्बाद

इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद  फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!