रविवार, 13 दिसंबर 2020

शनिवार, 28 नवंबर 2020

कसमें

इतनी कोशिशों के बाद भी 

न मिला वो शख्स मुझे

कुछ तो कसमें किस्मत ने भी

खाई होंगी

@nuj

मंगलवार, 20 अक्तूबर 2020

मंगलवार, 13 अक्तूबर 2020

नासमझी का बर्ताव

कहने को कुछ बचा ही क्या है 

जो बताएं तुमसे

नासमझी का बर्ताव तुम्हारा

अब सहा नहीं जाता हमसे..!!

@nuj

रविवार, 11 अक्तूबर 2020

भूल जाना

गर आओगे ख़्वाबों में तो कोशिश करना

मत जाना

हक़ीकत में आने की सोचना भी मत

भूल जाना..!!

@nuj

गुरुवार, 8 अक्तूबर 2020

तुम वो एहसास हो

तुम वो एहसास हो
जो देता था सुकून कभी 
मेरी चाहतों को
अब देता है कसक बेहिसाब 
मेरी धड़कनों को..!!
@anuj

मंगलवार, 6 अक्तूबर 2020

इश्क़ की महफ़िल

कसमें भी टूटेंगी,वादे भी टूटेंगे

ये इश्क़ की महफ़िल है जनाब

यहाँ जाम पीने से पहले छूटेंगें..!!

@nuj

रविवार, 4 अक्तूबर 2020

नादानी

एक बार फिर से कर लेने देते हैं 

उन्हें नादानी

देखते हैं इस बार वो कहाँ पोछेंगे 

अपनी आँखों का पानी..!!

@nuj

बुधवार, 30 सितंबर 2020

रविवार, 27 सितंबर 2020

बुधवार, 23 सितंबर 2020

बुधवार, 16 सितंबर 2020

दिल आज खाली क्यूँ है

दिल आज खाली खाली 

क्यूँ है

ये जज़्बातों का पिंजरा आज

खाली क्यूँ है

ख़ालिस रहा हमेशा नापाक 

बस्तियों में

फिर आज इस मकां में इतनी

जाली क्यूँ है..!!

@nuj

रविवार, 13 सितंबर 2020

फ़लक

फ़लक तक जाने से डरते हो ?

हम ज़मीं वाले तो आसमान से 

बारिश भी छीन लाते हैं..!!

@nuj

शनिवार, 12 सितंबर 2020

कहानी मुख़्तसर थी

कहानी मुख़्तसर थी

दोंनो ही मिल जाये एक 

दूसरे को,थोड़ी कसर थी

छोड़ेंगे नहीं इश्क़ करने वालों को,

जहाँ में बातें होती अक्सर थी

सारी कोशिशें सारी तरकीबें

दुनियादारी पे बेअसर थी

कभी बैठना साथ में तो करेंगें

पूरी कहानी,ये तो सिर्फ बानगी भर थी..!!

@nuj



शुक्रवार, 11 सितंबर 2020

रविवार, 6 सितंबर 2020

बग़ावत कहाँ देखोगे

लफ़्ज़ों में बता दूं तो जज़्बात कहाँ देखोगे

हर खुशी दे दी तो औकात कहाँ देखोगे

यूँ तो हिम्मत चाहिए वादा निभाने के लिए

गर वादा ही था कायर बनने का तो बगावत 

कहाँ देखोगे..!!

@nuj

शनिवार, 5 सितंबर 2020

शुक्रवार, 4 सितंबर 2020

मेरे नाम की रचना

अ-अब मत आना तुम 
नु-नुकसान तुम्हारा होगा
ज-जब करते थे हम इंतज़ार,वक़्त चला गया
दि-दिखी जो तेरी परछाईं भी
वा-वापस लौट जाऊंगा अपनी डगर
क-करके मेरा इंतज़ार 
र-रफ़्ता रफ़्ता तुम हो जाना आंखों से ओझल..!!

@nuj

बुधवार, 2 सितंबर 2020

बिखरा नहीं हूं

तेरे यूँ चले जाने से मैं ठहरा नहीं हूँ..

कोई बता दो उन्हें

टूटा हूँ पर बिखरा नहीं हूं..!!

@nuj

मंगलवार, 1 सितंबर 2020

सोमवार, 31 अगस्त 2020

औकात

इतनी सी औकात है मेरी महबूब के सामने

कि उनका प्यार पाने के लिए भी आंखों 

को भिगोना पड़ता है..!!

@nuj

हद

हम उस हद तक जाके रोये हैं..

जहाँ आंखों की हदें रोक देती थी

हमें रोने से..!!

@nuj

इंतेहा

मेरे दर्द की इंतेहा मत पूछिए..

मांगा था जिसको टूटकर,

उसको भूल जाने की दुआ 

की है रब से..!!

@nuj


रविवार, 30 अगस्त 2020

गुरुवार, 27 अगस्त 2020

मंगलवार, 25 अगस्त 2020

रेखाएं

हाथों की रेखाओं पे मत जाना 'अनुज'

क्योंकि जब वक़्त बदलता है तो रेखाएं 

भी बदल जाती हैं..!!

@nuj

रविवार, 23 अगस्त 2020

शनिवार, 22 अगस्त 2020

गुरुवार, 7 मई 2020

लॉकडाउन का पालन जरूरी या शराब का सेवन


लॉकडाउन 3.0 में सशर्त शराब की बिक्री की अनुमति मिलने के बाद से मॉडल शॉप पर भारी भीड़ देख कर हमारी और हम जैसे उन लोगो की भावनाएं निश्चित तौर पर आहत हुई है जो पिछले लगभग चालीस दिन से घर मे रहकर  लॉकडाउन का पालन कर रहे है।शराब की दुकानों में डेढ़-दो  किलोमीटर तक लंबी लाइन और बिना किसी सामाजिक दूरी के लॉक डाउन की धज्जियाँ उड़ाते हुए लोगो को देखकर देश उबल रहा है।सम्पूर्ण विश्व भर में फैली इस महामारी के समय भारत सरकार को इस तरह का अनुचित कार्य करने से निश्चित ही राजस्व लाभ होगा लेकिन अगर इस भीड़ में से कोई एक भी संक्रमित निकला तो जन हानि की कोई सीमा नही रहेगी और शायद सरकार के द्वारा इकट्ठा किये गए राजस्व का दुगना भी इसकी भरपाई न कर पाए।
    ऐसा नही हो सकता कि सरकार को इतनी भीड़ जमा होने का अंदेशा न हो।चूंकि चालीस दिन से घर मे बैठे मदिरा के शौकीन लोगो को अपनी प्यास बुझाने के लिए इसी दिन का इंतज़ार था और सरकार ने राजस्व इकट्ठा करने के चक्कर मे लोगो को मौत में मुह में धकेल दिया।एक हद तक सरकार जिम्मेदार हो सकती है लेकिन प्राथमिक तौर पर जवाबदेही हमारी खुद की बनती है अपने परिवार के प्रति।निश्चय ही शहर में भीड़ बढ़ाने वालो को उनके परिवार वालो ने बाहर जाने से रोका होगा किन्तु हम नशे में चूर अपनी प्यास बुझाने के लिए दानव रूपी महामारी को धता बताते हुए सड़को पर आ गए।
   पूरे विश्व की तुलना में भारत की स्थिति भले ही संतोषजनक हो लेकिन दिन ब दिन कोरोना के मरीजों का ग्राफ बढ़ना अवश्य चिंताजनक है।अभी भी हमे अपनी जिम्मेदारी का अहसास न हुआ तो हमारे देश में भी अमेरिका और इटली जैसी भयावह स्थिति आ सकती है।

बर्बाद

इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद  फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!