सोमवार, 10 मई 2021

शर्मसार इंसानियत

भारत इकलौता ऐसा देश है जहां पर लोगों ने सरकार द्वारा 'आपदा में अवसर' कथन को इतनी जल्दी आत्मसात कर लिया कि विश्व की सबसे बड़ी महामारी में भी उन्हें अवसर मिल गया। जहाँ दूसरे देशों में लोग खुलकर एक दूसरे की मदद कर रहे हैं वहीं दूसरी ओर भारत मे जीवनरक्षक दवाओं को चार से पांच गुना अधिक मूल्यों पर बेचा जा रहा है।ऑक्सीजन सिलिंडर भी छः से सात गुना अधिक मूल्यों पर बेचा जा रहा है। मरीजों को घर से हॉस्पिटल तक पहुंचाने में लाखों रुपये लिए जा रहे है। इस विकट परिस्थिति में भी लोग कालाबाज़ारी करने में लगे हुए है। ऐसे लोगो को सख़्त से सख़्त सजा दी जानी चाहिए ।मानवता शर्मसार हो चुकी है। किसी इंसान की जान बचाने से बड़ा कोई धर्म नही होता। आपदा में अवसर का मतलब यह नही कि जनता की गाढ़ी कमाई को बेतहाशा लूटा जाए बल्कि यह ऐसा विचार है जिससे नवीन उपाय कर लाखों लोगों की जान बचाई जा सके। संसार में सभी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। किसी एक इंसान पर घटी घटना दूसरे इंसान की घटना से परस्पर जुड़ी हुई है। आज आप जो उनके साथ कर रहे हैं,कल आपके साथ भी वही हो सकता है। इसलिए मानव जाति के भविष्य के लिए जितना हो सके निश्वार्थ भाव से एक दूसरे की मदद करे। 

               


   


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बर्बाद

इस कदर हमने खुद को कर लिया बर्बाद  फिर निकले नही जज़्बात कोई उसके जाने के बाद..!!